कला के प्रकार – मानवीय भावनाओं को व्यक्त करने के कुछ विशेष तरीके हैं, जिनको कुछ नाम दिए गए हैं । जैसे- संगीत कला, वास्तु कला, चित्रकला, कविता तथा मूर्तिकला ।
विषय - सूची
कला क्या है ? What is Art ?
हृदय की गहराईयो से या सच्चे मन से, मानवीय भावनाओं को व्यक्त करने के लिए की गयी सुन्दर प्रस्तुति को ही कला कहते हैं ।
कुछ और भी प्रकार हैं जैसे – कुछ डिज़ाइन बनाना , कुछ मेज , कुर्सी इत्यादि बनाना । इसमें भी कला का थोड़ा बहुत भाव रहता हैं परन्तु उसका उतना महत्त्व नहीं रहता । इसका कारण यह हैं कि यह वस्तुवें उपयोग के लिए बनायीं जाती हैं, जिसमे कुछ डिज़ाइन होते हैं बस, इसका कुछ ख़ास आधार नहीं होता है और यह मानवीय भावनाओं को प्रभावित नहीं करतीं ।
जिन कलाओं में किसी खास आधार पर कुछ रचना होती है। उस खास आधार पर उसे एक खास कला का नाम दे दिया जाता है।
कुछ खास कारणों से कुछ ख़ास चीजों को हम कला कहते हैं । कला के समूह को हम ललित कला के अंतर्गत रखते हैं । चलिए जानते हैं की ललित कला क्या है ?
ललित कला क्या है ?
ललित कला मन को सुखद अनुभूति तथा मन के सुकून के लिए है । यह मानसिक सुंदरता की ओर अग्रसर रहती है । यह भौतिक और उपयोगी तत्व से अलग तत्व है ।
किसी कीर्ति को देखकर अथवा सुनकर मन में सुखद अनुभूति हो उसे हम फाइन आर्ट कहेंगे। ललित कला को ही अंग्रेजी में हम Fine Art कहते हैं।
सभी कला जो मानवीय भावनाओं को प्रदर्शित करती है वह ललित कला कहलाती है । इसके माध्यम अलग-अलग होती हैं । जो कला जिस ख़ास माध्यम से पिरोया जाता है उसे उसके अनुसार नाम दे दिया जाता है ।
5 कलाएं , ललित कलाओं में आती है ।
वास्तुकला (Architecture)
मूर्तिकला (Sculpture)
चित्रकला (Painting)
काव्यकला (Poetry)
संगीत कला (Musical Art)
आपके मन में प्रश्ना उठ रहे होंगे कि क्या कला के प्रकार में नृत्य शामिल नहीं है ? इस प्रश्न का उत्तर लेख के अंत में आपको मिलेगा ।
कला के प्रकार 5 तथा 2 भाग
ऊपर दिए 5 प्रकार के कला को हम 2 भाग में बाँट सकते हैं ।
- देखने योग्य ( दृश्य कला / Visual Art ) – वास्तुकला, मूर्तिकला और चित्रकला तीनों कला को हम देखते हैं । यह भौतिक है । जबकि
- सुनने योग्य ( Audible Art )- काव्यकला तथा संगीत कला को हम सुनते हैं । यह भौतिक नहीं है ।
इन कलाओं में किस कला को श्रेष्ठ कला माना जाता है ? उसे श्रेष्ठ मानने का आधार क्या है ? श्रेष्ठ मानने के पीछे तर्क क्या है ? आइये जानते हैं । वैसे आप इन कला के बारे में जानते हैं फिर भी थोड़ा सा पुनरावृति करते है ताकि आगे समझने में सहजता हो ।
वास्तुकला (Architecture)
वास्तुकला (Architecture) – वास्तुकला सबसे नीचे दर्जे पर है । इसका कारण यह है कि इसमें घरों, इमारतों, इत्यादि को बनाने का काम होता है । जिसमे छड़, सीमेंट, ईंट इत्यादि सामानो का उपयोग होता है । इस कला में भारी भरकम ढ़ेर सारी चीजों का इस्तेमाल होता है ।
मूर्तिकला (Sculpture)
मूर्तिकला (Sculpture) – मूर्तिकला थोड़ा कम दर्जे का कला माना गया है वास्तुकला के बाद । इसमें मिट्टी , पेरिस , हथोड़ा , छोटे औज़ार इत्यादि का इस्तेमाल होता है ।
चित्रकला (Painting)
चित्रकला (Painting) – अगर हम पेंसिल पेपर आदि से विभिन्न आधार पर कोई चित्र करते हैं, जिसमे कागज, रंग, ब्रश इत्यादि का इस्तेमाल होता है । उपरोक्त दोनों कला के बाद चित्रकला में छोटापन कम है ।
काव्यकला (Poetry)
काव्यकला (Poetry) – कविता में शब्दों का महत्त्व है किसी भौतिक वस्तु की नहीं, जैसा की ऊपर दी गयी 3 कलाओं में है । शब्द हमारे दिल के सबसे नजदीक होते हैं परन्तु साहित्य में शब्द जब हमारे कानों में पड़ते हैं तो हमारा अंतर्मन , हमारी चेतना शब्दों के अलग अलग भावों को समझने का प्रयास करता है । जब हमारा बुद्धि इन अर्थों को सही मायने में समझ लेता है तब जाकर हम साहित्य का असल आनंद ले पातें हैं ।
कई विद्वान् काव्यकला को सर्वश्रेष्ठ मानते है ।
संगीत कला (Musical Art)
संगीत कला (Musical Art) – काव्यकला के जैसे ही इसमें भी किसी भौतिक वस्तु का महत्त्व नहीं है । इसमें मात्र आ, ओ के आलाप, तान द्वारा ही बिना अर्थों को समझे मन तृप्त और संतुष्ट होने लगता है । जो सुखद अनुभूति, आनंद संगीत के द्वारा मनुष्य को मिल पाती है वह किसी और ललित कला के द्वारा नहीं मिलती।
अतः इन पांच ललित कलाओं में संगीत कला श्रेष्ठ माना जाता है।
संगीत कला किसे कहते हैं ?
संगीत की धुन, सुर अथवा ताल के माध्यम से मानवीय भावनाओं को व्यक्त करते हैं तो, उसे संगीत कला कहा जाता है।
इस संगीत को सीधे भगवान से जोड़ा जाता है । मानना है कि भगवान ब्रह्मा ने मां सरस्वती को और मां सरस्वती ने नारद मुनि को संगीत की शिक्षा दी । नारद मुनि ने भरत को संगीत की शिक्षा दी। भरत ने नाट्यशास्त्र को और नाट्यशास्त्र ने जनसाधारण के बीच संगीत का प्रचार किया ।
सर्वश्रेष्ठ क्यों है संगीत कला ?
संगीत की परिभाषा – संगीत शब्द सुनते ही दिमाग में एक चीज आती है । गायन या वादन परंतु ऐसा नहीं है। संगीत तीन चीजों के संगम को कहते हैं वो हैं गायन, वादन और नृत्य । अर्थात गायन, वादन और नृत्य के सम्मिलित रूप को संगीत कहते हैं । परंतु विदेशों में केवल गायन और वादन को ही संगीत समझा जाता है। नृत्य को वहां संगीत में शामिल नहीं किया गया है ।
आपने महसूस किया होगा कि गायन को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। कोई गायक हो तो उसे ज्यादा प्रसिद्धि मिलती है । ऐसा भला क्यों ?
इसे समझने के 2 आयाम है –
- पहला- लोगों की आम धारणा है किसी यंत्र का इस्तेमाल किए बिना जब कोई अपनी कला/गायकी से लोगों को ENTERTAIN करता है तो साक्षात/ सीधे लोगों के दिल में एक अलग ही पैठ बनती है और लोग उसे चाहने लगते हैं /पसंद करने लगते हैं ।
- दूसरा- संगीत के जानकार पंडित दिग्गजों का मत है कि नृत्य, वादन पर आश्रित है और वादन, गायन पर आश्रित है। इसलिए अंततः गायन ही सर्वश्रेष्ठ साबित हुआ।
अब सवाल ये है कि संगीत कला के प्रकार या भारतीय संगीत के प्रकार कितने हैं ?
अब आप Comment करके बताएं कौन सी कला आपकी नज़र में सर्वश्रेष्ठ है ?
उम्मीद करता हूँ आप यह जान गए होंगे कि – कला किसे कहते हैं ? कला की परिभाषा क्या है ? कला कितने प्रकार की होती है ? भारतीय कला के प्रकार कितने हैं ? हमारे जीवन में कला का क्या महत्व है ? कला के प्रकार हिंदी में ( Kala ke Prakar in Hindi )
आशा करता हूँ आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी । अगर यह लेख पसंद आया हो तो Subscribe करके Share जरूर करें अपने साथियों के संग । Comment करके बताएं अपनी राय । ” सप्त स्वर ज्ञान ” में बने रहने के लिए आपका दिल से धन्यवाद ।