कैसे सीखें बाँसुरी बजाना ? – वाद्य यंत्र बाँसुरी – यह वंश परिवार का अति प्राचीन सुषिर ( फूक से बजने वाला ) वाद्य है । भगवान् कृष्ण ने अपने अधरों से लगाकर इसे अमरत्व प्रदान कर दिया है । बाँसुरी को वंशी , वेणु या मुरली भी कहते हैं । बाँसुरी को इंग्लिश में Flute कहते हैं, और बाँसुरी बजाने वाले कलाकार ( बाँसुरी वादक ) को Flautist कहते हैं ।
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वाद्य यंत्र बाँसुरी बजाना कैसे सीखें ?
आजकल बाँसुरियां कई प्रकार की मिलती हैं , किन्तु हम यहाँ पर उसी का विवरण दे रहे हैं , जिसमें छह सूराख होते हैं और जिसकी ट्यूनिंग अंग्रेजी ढंग पर की हुई होती है । यद्यपि देशी बाँसुरी भी काफ़ी अच्छी होती है किन्तु उन्हें अच्छे स्वर – ज्ञान वाले ही पहचान सकते हैं । बाँसुरी पीतल , प्लास्टिक या बाँस से बनी होती हैं । बाँसुरी के स्वर तथा वादन की विधि आगे दी जा हैं रही है । बांसुरी बजाना कैसे सीखें ? How to play Flute / Bansuri in Hindi ?
बाँसुरी में सरगम निकालने की विधि कैसे सीखें ?
बाँसुरी में सरगम निकालने की विधि – सर्वप्रथम बाँसुरी के सब सूराखों को इस प्रकार बन्द करें कि बाएं हाथ की पहली , दूसरी , तीसरी अंगुलियां ऊपर के तीन सूराखों पर जम जाएँ ।
फिर दाहिने हाथ की पहली , दूसरी और तीसरी अंगुलियों से नीचे के तीनों सूराख बन्द करें ।
ध्यान रहे कि सूराखों को अंगुलियों की पोर से अच्छी तर दबाना चाहिए । यदि बीच में कोई भी अंगुली सूराख से तनिक भी हट गई , तो आवाज फटी – फटी निकलेगी ।
सब सूराख उपर्युक्त विधि से बंद करने के बाद मुंह से हलकी फूंक लगाएँ । इस प्रकार सब सूराख बंद होने पर जो स्वर निकलेगा , वह मंद्र – सप्तक का ‘ प ‘ होगा । बाकी स्वर एक – एक अंगुली क्रमानुसार उठाने पर इस प्रकार निकलेंगे : –
प – सब सूराख बंद करने पर ।
ध – नीचे का एक सूराख खोलने पर ।
नि – नीचे के दो सूराख खोलने पर ।
सा – नीचे के तीन सूराख खोलने पर ।
रे – नीचे के चार सूराख खोलने पर ।
ग – नीचे के पांच साख खोलने पर ।
म – सब सूराख खोल देने पर ।
इस प्रकार छह सूराखों से प ध नि सा रे ग मं ये सात स्वर निकले । इनमें मध्यम तीव्र है ; बाकी स्वर शुद्ध हैं । मध्यम को शुद्ध बनाने के लिए ऊपर का सिर्फ आधा सूराख दबाना पड़ता है तथा अन्य स्वरों को कोमल बनाने के लिए भी सूराखों का अर्ध – प्रयोग किया जाता है ।
बाँसुरी में तार – सप्तक के सरगम निकालने की विधि
इसके आगे के स्वर यानी मध्य – सप्तक के प ध नि ‘ और तार – सप्तक के स्वर निकालने के लिए क्रम बिलकुल यही रहता है , सिर्फ मुंह की फूक का वज़न बदल दिया जाता है ; उदाहरणार्थ- सब सूराख बंद करने पर हलकी फूक से मंद्र – पंचम का ( क ) निकलता है , तो फूक का वज़न दुगुना कर देने पर वही मध्य सप्तक का पंचम ( प ) बन जाएगा । इसी प्रकार आगे की सप्तक के अन्य स्वर भी फूक के दबाव के आधार पर निकलेंगे ।
वाद्य यंत्र बाँसुरी का अभ्यास – Practice Flute / Bansuri
बाँसुरी पर पहले यमन राग के स्वरों – सा रे ग मं प ध नि ‘ का ही अभ्यास करना चाहिए , क्योंकि यमन राग में मध्यम तीव्र तथा बाकी स्वर शुद्ध हैं और बाँसुरी में भी पूरे सराखों के खुलने पर यही स्वर आसानी से निकलते हैं । बाद में भ्यास हो जाने पर आधे – आधे सूराखों के प्रयोग से अन्य विकृत स्वर भी निकलने लगेंगे ।
बाँसुरी शास्त्रीय संगीत , सुगम संगीत एवं लोक संगीत के क्षेत्र में समान रूप से लोकप्रिय है ।
बाँसुरी के मुख्य कलाकारों में पन्नालाल घोष , विजय राघव राव , देवेन्द्र मुर्दश्वर तया हरिप्रसाद चौरसिया के नाम उल्लेखनीय हैं ।
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